आज का विचारजिदंगी की सार्थकता खुद के लिये जीने में नहीं वरन सामाजिक मूल्यों की रक्षा व पीड़ितों के आंसूओं को पोछने में है। मन, वचन, काया में एक रुपता व विचारों में शुद्धता ही सफलता का मूल मंत्र है। सोच दिशा तय करती है और दिशा हमारी दशा तय करती है। इसलिये सार्थक सोच रखें परिणाम भी सार्थक मिलेंगे।

Tuesday 25 June 2013

" जीवन की सार्थकता निज स्वार्थों की पूर्ती में नहीं "

" जीवन की सार्थकता निज स्वार्थों की पूर्ती में नहीं "
                                                    सच्चिदानंद पुरोहित 





2 comments:

  1. निज स्वार्थ किसी मृगमरिचिका से होते हैं

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  2. सही बात है। पर खेद है कि इसी मरिचिका के पीछे भागने को लोग उतावले हैं।

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