आज का विचारजिदंगी की सार्थकता खुद के लिये जीने में नहीं वरन सामाजिक मूल्यों की रक्षा व पीड़ितों के आंसूओं को पोछने में है। मन, वचन, काया में एक रुपता व विचारों में शुद्धता ही सफलता का मूल मंत्र है। सोच दिशा तय करती है और दिशा हमारी दशा तय करती है। इसलिये सार्थक सोच रखें परिणाम भी सार्थक मिलेंगे।

Sunday 23 June 2013

सभी तो मेरे अपने हैं फिर प्रश्न भाव कैसा॰॰?

सभी तो मेरे अपने हैं फिर प्रश्न भाव कैसा॰॰? ये सोच ही हमें आदर्श इंसान बना सकती है। किसी दिन दूसरे के भले व सहयोग के बारे में सोच भर लेना, फिर देखना जो सुकून व शांती मिलेगी वो किसी स्वर्गिक आनंद से कम न होगी ॰॰ सच्चिदानंद पुरोहित  

1 comment:

  1. बात तो एकदम सही है। जब भी हम किसी का सहयोग लरते हैं मन में स्फूर्ती का अहसास होता है।

    ReplyDelete