आज का विचारजिदंगी की सार्थकता खुद के लिये जीने में नहीं वरन सामाजिक मूल्यों की रक्षा व पीड़ितों के आंसूओं को पोछने में है। मन, वचन, काया में एक रुपता व विचारों में शुद्धता ही सफलता का मूल मंत्र है। सोच दिशा तय करती है और दिशा हमारी दशा तय करती है। इसलिये सार्थक सोच रखें परिणाम भी सार्थक मिलेंगे।

Tuesday, 25 June 2013

" जीवन की सार्थकता निज स्वार्थों की पूर्ती में नहीं "

" जीवन की सार्थकता निज स्वार्थों की पूर्ती में नहीं "
                                                    सच्चिदानंद पुरोहित 





Sunday, 23 June 2013

सभी तो मेरे अपने हैं फिर प्रश्न भाव कैसा॰॰?

सभी तो मेरे अपने हैं फिर प्रश्न भाव कैसा॰॰? ये सोच ही हमें आदर्श इंसान बना सकती है। किसी दिन दूसरे के भले व सहयोग के बारे में सोच भर लेना, फिर देखना जो सुकून व शांती मिलेगी वो किसी स्वर्गिक आनंद से कम न होगी ॰॰ सच्चिदानंद पुरोहित  

जिदंगी की सार्थकता

“जिदंगी की सार्थकता खुद के लिये जीने में नहीं वरन सामाजिक मूल्यों की रक्षा व पीड़ितों के आंसूओं को पोछने में है।“
 उत्तराखण्ड की प्राकृतिक आपदा में ना जाने कितने ब्रह्मलीन हो गये, ना जाने कितने अपनी जिंदगी से लड़ रहे हैं, ना जाने कितने अनाथ हो गये हैं। ऐसे में हमारा मौन अच्छा नहीं, हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना अच्छा नहीं। जो बन पड़े वो जरुर कीजिये वक्त आपका आभारी रहेगा॰॰ ॐ शांती 

Friday, 21 June 2013

संवादहीनता जहां मुश्किलें बढ़ाती हैं वहीं संवेदनहीनता अनैतिकता॰॰