आज का विचार
जिदंगी की सार्थकता खुद के लिये जीने में नहीं वरन सामाजिक मूल्यों की रक्षा व पीड़ितों के आंसूओं को पोछने में है।
मन, वचन, काया में एक रुपता व विचारों में शुद्धता ही सफलता का मूल मंत्र है।
सोच दिशा तय करती है और दिशा हमारी दशा तय करती है। इसलिये सार्थक सोच रखें परिणाम भी सार्थक मिलेंगे।
Wednesday, 12 June 2013
जीवन की सार्थकता दूसरों के आंसू पोंछने में है।
1 comment:
punit soni
2 October 2013 at 19:57
kindly ,ail the path and yantram sonisonsgarments@gmail.com
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